पत्रांक:- अ16/क21/493
दिनांक- 30/11/2024
*परिणाम*
सातवे *श्री मनोहर सिंह यादव* स्मृति *सृजन श्री अलंकरण- 2025*
हेतु आयोजित
*सृजन परंपरा गीत की* नामक
*गीत सृजन प्रतियोगिता*
*प्रथम-चरण*
*षष्ठ-माह:-* (नवंबर – 2024)
के विषय:- *इन राहों पर चलते चलते* हेतु प्राप्त गीतों के मूल्यांकन के पश्चात प्राप्त परिणाम
प्रथम स्थान – *कोड (ओ)* डगर कठिन है इस दुनियाँ की
द्वितीय स्थान – *कोड (औ)* शूल हार के अगर मिलें तो
तृतीय स्थान – *कोड (ऐ)* मन के किस कोने में जाने
तृतीय स्थान – *कोड (ग)* थम लेखनी श्रम की आओ
आधिकारिक हस्ताक्षर
*प्रो. अजिर बिहारी चौबे*
उप निदेशक मूल्यांकन/मुख्य निर्णायक
मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष, एस.आर.के. स्नातकोत्तर
महाविद्यालय, फिरोजाबाद
प्रथम स्थान – *कोड (ओ)*
डगर कठिन है इस दुनिया की, इसके मोड़ निराले।
इन राहों पर चलते-चलते, थके न पौरुष वाले।।
आना-जाना खोना-पाना, जग की रीत पुरानी।
संबंधों का ताना-बाना, सबकी अलग कहानी।।
पतित जनों को गले लगाकर, अपना सगा बनाए।
कष्टों का घोर तिमिर हर जो, नव प्रकाश दिखलाए।।
ज्ञानी वही कंँटीले पथ चुन, भरते नेह उजाले।
डगर कठिन है इस दुनिया की, इसके मोड़ निराले।।
हार जीत की होड़ लगी है, कौन किसे समझाए।
बेगाने बन जाते अपने, अपने लगे पराए।।
अन्तर्मन में कुंठा बैठे, दुख के बादल काले।
सुख की चाबी भरकर जिसने, दुख के तोड़े ताले।।
विष को मथकर वही मनुज ही, पिये अमी के प्याले।
डगर कठिन है इस दुनिया की, इसके मोड़ निराले।।
निर्भय होकर वीर सूरमा, उच्च शिखर चढ़ते हैं।
गर्दिश के तारों में चलकर, आगे नित बढ़ते हैं।।
दीन दुखी के नेक मसीहा, उद्धारक बनते हैं।
मरु हृद को सीच प्रेम से, खुशियों से सनते हैं।।
मृदु वाणी के सुमन तीर से, भय का शूल निकाले।
डगर कठिन है इस दुनिया की, इसके मोड़ निराले।।
इन राहों पर चलते-चलते, थके न पौरुष वाले,,,,
रचनाकार
डॉ. पदमा साहू *पर्वणी*
जिला= खैरागढ़-छुईखदान-गंडई
छत्तीसगढ़ राज्य, पिन कोड-491881
मो. 9479172250
द्वितीय स्थान – *कोड (औ)*
शूल हार के अगर मिलें तो, धीरज रखना मत घबराना ।
फूल जीत के खिल जाएँगे, सत्कर्मों का बाग लगाना ।।
जहाँ विफलता वहीं सफलता, निज कर्तव्य – निभाते जाना ।
फूल जीत के खिल जाएँगे, सत्कर्मों का बाग लगाना ।।
¶ लक्ष्य – साधने को संकल्पित, जो जन आगे बढ़ता जाता ।
नहीं देखता पीछे मुड़कर, अपनी मंज़िल को वह पाता ।।
साध्य – साधना बन सच साधक, श्रम से अपना जी न चुराना ।
फूल जीत के खिल जाएँगे, सत्कर्मों का बाग लगाना ।
¶ छिपा दंश की पीड़ा में है, मूल प्रेरणा का भी जानो ।
नहीं असंभव लक्ष्य – भेदना, दृढ़ प्रण जो निज मन में ठानो ।।
गहन तमस् भी मिट जाएगा, मन में आशा – दीप जलाना ।
फूल जीत के खिल जाएँगे, सत्कर्मों का बाग लगाना ।।
¶ राहें अनगिन इस जीवन की, चाहे जिस पर चलते जाओ ।
इन राहों पर चलते – चलते, बिना रुके निज कदम – बढ़ाओ ।।
ले संकल्प जीत की अपनी, पाओ लक्षित लक्ष्य सुहाना ।
फूल जीत के खिल जाएँगे, सत्कर्मों का बाग लगाना ।।
भरत नायक ‘बाबूजी’,
लोहरसिंह, रायगढ़ (छ.ग.)
पिन – 496100
मो. – 9340623421
ईमेल – bharatlalnaik3@gmail.com
तृतीय स्थान – *कोड (ऐ)*
मन के किस कोने में जाने, आशाओं के दीपक जलते।
पॉंवों के छाले भी हॅंसते, इन राहों पर चलते-चलते।।
कर्म पथिक चलते ही जाना,
लक्ष्य साधकर धीरे-धीरे।
थक जाओ दुष्कर पथ चलकर,
तो रुक जाना तटिनी तीरे।।
तरुवर जैसे त्याग, समर्पण नदियों से हृद अंतस पलते।
पावों के छाले भी हॅंसते, इन राहों पर चलते-चलते।।
पग रोकेंगे दुख के पर्वत,
*दशरथ मांझी* तुम बन जाना।
एक हथौड़ा-छैनी लेकर,
बाधाओं पर बस तन जाना।।
शैल तुंग पर मार्ग गढ़ो, मन दृढ़ संकल्प दंभ को छलते।
पावों के छाले भी हॅंसते इन राहों पर चलते-चलते।।
बाॅंधाएं भी झुक जायेंगी,
थम जायेंगे तूफां क्षण में।
ज्यों गोपायन हुई पराजित,
एक सारथी जीता रण में।।
स्वप्न हुए साकार नयन में सोते-जगते पल-पल पलते।।
पावों के छाले भी हॅंसते इन राहों पर चलते-चलते।।
*©प्रियंका दुबे ‘प्रबोधिनी’*
गोरखपुर, उत्तर-प्रदेश 🌷🙏
मो. 9810846082
तृतीय स्थान – *कोड(ग)*
थाम लेखनी श्रम की आओ, सुखमय जीवन चित्र बनाएं।।
सत्य अहिंसा साहस निष्ठा, सबको अपना मित्र बनाएं।।
सुख-दुख की जीवन यात्रा में, श्रम का आनंद निराला है।
बैठ छाॅंव में इसकी मानव, मन पाता सुख मतवाला है।।
करे प्रसंशा यह जग सारा, ऐसा श्रेष्ठ चरित्र बनाएं।
इन राहों पर चलते-चलते, थक जाएं जब पाॅंव हमारे।
लिखकर साहस की परिभाषा, मन भगवन का नाम पुकारे।।
महके जिससे जीवन काया, ऐसा मोहक इत्र बनाएं।।।
श्रम करती है चींटी जग में, यह कितनी बार फिसलती है।
चढ़ती-गिरती गिरती -चढ़ती, तब मंजिल इसको मिलती है।
हम भी श्रम को निशिदिन करके, जीवन सुंदर चित्र बनाएं।।
राजवीर सिंह ‘तरंग’
ग्राम – मीरा सराय पोस्ट – सिविल लाइंस
जनपद – बदायूॅं, उत्तर प्रदेश।
मो.- 9410286880
*सभी विजेताओं को बधाई एवं शुभकामनाएं*
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या
https://www.facebook.com/pragyahindifzd/
*प्रेषक*
*कृष्ण कुमार “कनक”*
संस्थापक/प्रबंध-सचिव
प्रज्ञा हिंदी सेवार्थ संस्थान ट्रस्ट
मो. 7017646795
*मृदुल माधव पाराशर*
प्रतियोगिता प्रभारी
मो. 9528755955
*गौरव चौहान गर्वित*
संस्थापक सचिव
मो.9412500858
*प्रवीण पाण्डेय*
ट्रस्ट उपाध्यक्ष
मो. 8218725186
*कुँ. राघवेन्द्र प्रताप सिंह जादौन*
सहनिदेशक- साहित्य
मो. 9897807132
*आकाश यादव*
मुख्य व्यवस्थापक
मो. 8791937688
*पूरन चंद गुप्ता*
मुख्य निदेशक
मो. 99 97 181967
*यशपाल यश*
ट्रस्ट अध्यक्ष
मो.9837812637
*सचिन कुमार बघेल*
ट्रस्ट कोषाध्यक्ष
मो. 8077069829