जुलाई माह की गीत प्रतियोगिता का परिणाम

प्रज्ञा हिंदी सेवा संस्थान ट्रस्ट फिरोजाबाद द्वारा आयोजित पाँचवी अखिल भारतीय गीत सृजन प्रतियोगिता – 2023 के प्रथम चरण के द्वितीय माह (जुलाई 2022) हेतु दिए गए गीत विषय *उपकार* पर प्राप्त प्रविष्टियों के मूल्यांकन के पश्चात प्राप्त परिणाम

*कोड* *स्थान*
11 प्रथम
06 द्वितीय
04 तृतीय
09 तृतीय

हस्ताक्षर
डॉ. अजिर बिहारी चौबे
मूल्यांकन समिति प्रभारी

*कोड – 11 (प्रथम)*

दीपक देहरी आंगन नैना , पर करते उपकार ,
आ जाते एक बार अगर तुम , आ जाते एक बार !

नीरज नीरज हो जाते फिर
पत्थर पत्थर नैना
और सुहागिन हो लेती फिर
यह सन्यासिन रैना

पीला पीला तन मन मेरा , हो उठता कचनार
आ जाते एक बार अगर तुम , आ जाते एक बार !

भुजपाशों में कसती तुमको
और कसे ही रहती
सपनों वाले नयन नगर में
सदा बसे ही रहती

करने देती फिर न किसी को , तुम पर मैं अधिकार
आ जाते एक बार अगर तुम , आ जाते एक बार !

कंगन खन खन भूल गए हैं
छन छन भूली पायल
बिछुआ चुभना भूल गया है
बहना भूला काजल

रंग पुराने पा जाते फिर , धूल लगे सिंगार
आ जाते एक बार अगर तुम , आ जाते एक बार !

सीढ़ी सीढ़ी नंगे पांवों
तुमको मैं चलवाती
मन्नत वाले धागे सारे
तुमसे ही खुलवाती

तुमसे ही करवाती अपने , बदले का आभार
आ जाते एक बार अगर तुम , आ जाते एक बार !

मुझ पर हंसते रहते निशिभर
नटखट चाँद सितारे
रोज पूछते कहो कहां हैं
प्रियवर सखी तुम्हारे

संग तुम्हारे हंस लेती मैं , इन पर सौ सौ बार
आ जाते एक बार अगर तुम , आ जाते एक बार !

शब्दों के मुख पर धर देती
हंसती हुई हथेली
हल कर देती बस नैनों से
मन की कठिन पहेली

आतुर आकुल पाहुन को मैं , देती हर उपहार
आ जाते एक बार अगर तुम , आ जाते एक बार !!

सुना अहिल्या शबरी एक दिन
रघुवर को पा जाते
उर्मिल के भी भाग्य जगाने
लखनलाल आ जाते

मेरे तप भी पा जाते प्रिय , मृदुल मोक्ष का द्वार
आ जाते एक बार अगर तुम , आ जाते एक बार !

आलोकेश्वर चबडाल
दिबियापुर
9720166139

*कोड – 06 (द्वितीय)*

जो दिया वरदान जीवन ईश ने संसार को,
सर्वदा देते रहें सम्मान उस उपकार को।

व्यक्ति में उसकी कृपा से चल रही हर श्वास है।
पल रहा उर गेह में भी अनगिनत उल्ल्लास है।
सृष्टि संचालित यहाँ भगवान के संकेत पर-
सारगर्भित सत्य पर सबको अटल विश्वास है।
मान दें हर क्षण विधाता के अमिय उपहार को।
———-

तत्व हर अनिवार्यतः सबके कलेवर में भरा।
भाव उत्तम और मधुरिम हिय सरोवर में भरा।
प्रेम को करके प्रवाहित द्वेष को हैं मारते-
सर्व जग कल्याण प्रियवर मात्र ईश्वर में भरा।
उर समाहित कर सभी लें दिव्यतम इस सार को।
—————-

मोह-माया के नगर में जो ठहरते हैं मनुज।
लालसा के सिंधु में अक्सर उतरते हैं मनुज।
चैन पाते हैं नहीं फिर ज़िन्दगी भर वे कभी-
नित्य जो सद्भावना का पर कतरते हैं मनुज।
वे समझते हैं नहीं मृदु प्रेम के आधार को।
————-

दीप पावन एक सा सबके हृदय में जल रहा।
स्वप्न सुंदर भी सदा अंतःकरण में पल रहा।
पुष्प सम कोमल हृदय सबको दिया जब ईश ने-
क्यों भला फिर द्वेष आगे तीव्र गति से चल रहा।
हो गया मुश्किल मिटाना क्रोध के अंबार को।
———

सृष्टि के हर खण्ड में रहते सदा जगदीश हैं।
व्योम है आधीन उनके अरु वही अवनीश हैं।
भाग्य निर्धारित करें परिणाम भी देते वही-
न्याय के परिप्रेक्ष्य में सर्वोच्च न्यायाधीश हैं।
भक्ति से करते सुशोभित पुण्य के आगार को।
—————

कृष्ण कुमार श्रीवास्तव
“कृष्णा”
हाटा, कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)
पिन नम्बर-274203
मोबाइल नंबर-9453856390

*कोड – 04 (तृतीय)*

इच्छाओं की छोड़ पोटली
जीवन नौका पार करें ।
जब तक जीवन की साँसें हैं
निश्छल पर उपकार करें ।।

अक्सर बेकाबू लहरों में
नाविक खाली रह जाता ।
सुखवाही जीवन धारा में
रेत बिछौना ही पाता ।।

आशाओं की ज्योति जला कर
घर-बाहर उजियार करें ।
इच्छाओं की छोड़ पोटली
जीवन नौका पार करें ।।

तन-मन हवन करें सेवा में
भाव-समर्पण कर सारा ।
आँधी में जब लौ मद्धिम हो
जलकर तोड़ें पथ-कारा ।।

शीतल चंदा सूरज आतप
बन सबका उद्धार करें ।
इच्छाओं की छोड़ पोटली
जीवन नौका पार करें ।।

रंग-विरंगे दृश्य चतुर्दिक
तोल-मोल करते सारे ।
आगम से प्रस्थान बिंदु तक
प्रीति दूसरों पर हारे ।।

इन्द्रधनुष के रंग सजाकर
नित्य सुखद भिनसार करें ।
छोड़ इच्छाओं की पोटली
जीवन नौका पार करें।।

डा. सुनीता सिंह ‘सुधा’
सरस्वती नगर छीत्तूपुर ( ज्ञान गंगा स्कूल के सामने) बी. एच. यू.
वाराणसी 221005
मो. 9671619238

*कोड – 09 (तृतीय)*

जटिल समस्या है हम सबकी, मिलकर सभी विचार करें।
फले और फूले हर कन्या, बेटी पर उपकार करें। ।

सृष्टि-चक्र चलता है जिससे, उसे भ्रूण में पलने दें
पालन-पोषण कर बेटी का, हर बाधा को टलने दें,
कन्या का आशीष मिला तो, कोई देव न रूठेगा,
कर कन्या का दान सृष्टि की, नव शाखा को फलने दें
है संकीर्ण सोच जितनी,आओ उसका विस्तार करें
फले और फूले हर कन्या, बेटी पर उपकार करें।

मात-पिता के घावों पर, बेटी ही मरहम रखती है
डांट और फटकार पड़ तो, होकर मौन सिसकती है
कुल की मर्यादा है बेटी, हम उसका सम्मान करें
बेटे भले दूर कर दें, पर बेटी दूर न रखती है
भ्रूण-परीक्षण परंपरा का,दुनियां से संहार करें
फले और फूले हर कन्या, बेटी पर उपकार करें।

जननी,भगिनी,भार्या,सब में, दिव्य स्वरूपा है बेटी
चली जहां से सृष्टि वही, मनु की सतरूपा है बेटी
सीता ,राधा ,अनुसूया ,दुर्गा ,मीरा , लक्ष्मी सी है ,
है अनुपम वरदान,भूप की भू पर भूपा है बेटी
छू कर उसके चरण सिंधु-भव से हम बेड़ा पार करें
फले और फूले हर कन्या, बेटी पर उपकार करें।

प्रेषक-सुधीर कुमार मिश्र, द्वारा पंकज कुमार तोमर, नई बस्ती, नाहिली मार्ग, घिरोर
जिला-मैनपुरी (उत्तर प्रदेश)पिन कोड-205121
दूरभाष-7906958114,9719206871

*सभी विजेताओं को हार्दिक शुभकामनाएं।*

प्रेषक
कृष्ण कुमार “कनक”
प्रबंधक-सचिव
प्रज्ञा हिंदी सेवार्थ संस्थान ट्रस्ट
“कनक-निकुँज”, ठार मुरली नगर
गुँदाऊ,लाइन पार, फिरोजाबाद
(उ.प्र.) पिन कोड – 283203
मो. 7017646795, 9259648428
Email – kanakkavya@gmail.com
Website – www.pragyahinditrust.in

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