सप्तम गीत सृजन प्रतियोगिता परिणाम जून २०२४

पत्रांक:- अ16/क21/401
दिनांक- 30/06/2024

*परिणाम*
सातवे *श्री मनोहर सिंह यादव* स्मृति *सृजन श्री अलंकरण- 2025*
हेतु आयोजित
*सृजन परंपरा गीत की* नामक
*गीत सृजन प्रतियोगिता*

*प्रथम-चरण*
*प्रथम-माह:-* (जून – 2024)
के विषय:- *फूल रहा अमलतास* हेतु प्राप्त गीतों के मूल्यांकन के पश्चात का परिणाम
प्रथम स्थान – *कोड (थ)* द्वारे पर ताव दिए सुलग रहा जेठ मास
द्वितीय स्थान – *कोड (ङ)* फूल रहा अमलतास जेठ की दुपहरी में
तृतीय स्थान – *कोड (च)* फिर फूल रहा अमलतास

आधिकारिक हस्ताक्षर
*प्रो. अजिर बिहारी चौबे*
उप निदेशक मूल्यांकन/मुख्य निर्णायक
मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष, एस.आर.के. स्नातकोत्तर
महाविद्यालय, फिरोजाबाद

प्रथम स्थान – *कोड (थ)*

द्वारे पर ताव दिये, सुलग रहा जेठ-मास
आँगन में झूम-झूम, फूल रहा अमलतास।

नीम,वट झुलस रहे,पीत पात पड़ रहे
लू-लपट की मार से,बाग़ सब उजड़ रहे,
प्रेम पुष्प विकसित हो, घोल रहा है सुवास
अंतस में आग़ लगा ,फूल रहा अमलतास।

अँगड़ाई पीर भरे,मन कैसे धीर धरे
विहरन अकुलाई है,आँखों में नीर भरे,
मन की अँगनाई में, रंग भरे हैं उदास
सुलग रही सांस-सांस, फूल रहा अमलतास।

धीरे से साँझ ढले,मनवा को प्रीत छले
द्वार पर प्रतीक्षा का, हर दिन ही दीप जले
डोल रहीं हिरनी सी, स्मृतियाँ आस-पास
अब तो आ जाओ प्रिय, फूल रहा अमलतास।

जलती है, तपती ऋतु, बादल मुख मोड़ गये
आतप के कष्टों में, रिश्ते सब तोड़ गये
कर थामे विपदा में,मन को है दिये आस,
पीला श्रंगार किये, फूल रहा अमलतास।

शिखा गर्ग
पता -श्री मनोज गर्ग, गुप्ता मेडिकल स्टोर, बलदाऊ चौक, उरई जिला -जालौन
पिन कोड -285001
फ़ोन नंबर 9450294026

द्वितीय स्थान – *कोड (ङ)*

फूल रहा अमलतास जेठ की दुपहरी में
सावन के स्वागत को रंग लिए गठरी में

सूरज को प्यास लगी बादल भी दूर है
सूख रहे होंठ मगर चलना मंजूर है
प्राची से निकला है पश्चिम को जाना
तपती हैं राहें, तन थक के चूर-चूर है

साँझ के लिए चिट्ठी भोर ने दिया है जो
उसको पहुँचाना है रजनी की नगरी में
फूल रहा अमलतास………

चिड़ियों ने छेड़ी है मन्द मधुर रागिनी
झूम-झूम पवन चले गीत लिखे यामिनी
छोड़ गए निष्ठुर की राह तके रात-दिन
नीर लिए नयनों में नदियों की मालिनी

चन्दा के आँचल में दाग कई दिखते हैं
बात कहाँ पहले सी चाँदी की गगरी में
फूल रहा अमलतास………

बीच अधर में लटकी चातक की प्रीत है
जाने किस उलझन में उलझा मनमीत है
सावन की कौन कहे दिखता आषाढ़ ना
फिर भी क्यों माँझी के होंठों पर गीत है

दूर कहीं तट पर वह तान छेड़ बैठा है
फिर ‘असीम’ बार-बार नाम वही कजरी में
फूल रहा अमलतास………..
✍🏻 शैलेन्द्र ‘असीम’
पाण्डेय निवास
रोहुआ मछरगावां, कुशीनगर
(उत्तर प्रदेश)
पिन कोड – 274149
मो. न. 7007947309

तृतीय स्थान – *कोड(च)*

*नोट:-* तृतीय स्थान पर जिस प्रतिभागी का गीत आया है उसने अपनी रचना भेजते समय नियमानुसार न तो अपना पूरा पता लिखा है और न मोबाइल नंबर, अतः उनकी प्रतिभागिता निरस्त कर दी गई है। साथ ही इस बात की सूचना प्रतिभागी को उनकी मेल पर भी प्रेषित कर दी गई है।

*सभी विजेताओं को बधाई एवं शुभकामनाएं*

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*प्रेषक*
*कृष्ण कुमार “कनक”*
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सहनिदेशक- साहित्य
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*यशपाल यश*
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*गौरव चौहान गर्वित*
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*सचिन कुमार बघेल*
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